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06 September 2020

स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथ मे है

 सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।

1  मुनि स्नान।
जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है।
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2  देव स्नान।
जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है।
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3  मानव स्नान।
जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है।
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4  राक्षसी स्नान।
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है।

▶️मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
▶️देव स्नान उत्तम है।
▶️मानव स्नान समान्य है।
▶️राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
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किसी भी मानव को 8 बजे के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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मुनि स्नान .......
👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
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देव स्नान ......
👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
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मानव स्नान.....
👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।
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राक्षसी स्नान.....
👉🏻 दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
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किसी भी मनुष्य को 8 के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।

खास कर जो घर की स्त्री होती थी। चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो।
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घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।
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ऐसा करने से धन ,वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।
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उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता।
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उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है।
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प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है।
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इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । ओर उन का पालन भी करे।

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