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07 February 2021

राहू के साथ युति केकुछ विशेष प्रभावी योग - Astro tips

 
👉 यदि मेष वृष या कर्क राशि का राहु तीसरे छठे अथवा ग्यारहवें भाव में हो तो यह राहु अनेक तो फलों का नाश करेगा।

👉 यदि केंद्र में राहु, त्रिकोण, 1,4,7,10,5,9वे भाव में हो और केंद्रेश या त्रिकोणेश से संबंध रखता हो तो यह राजयोग प्रदान कर देता है।

👉 यदि दसवें भाव में राहु हो तो यह राहु नेतृत्व शक्ति प्रदान करता है।

👉यदि सूर्य चंद्र के साथ राहु हो तो यह राहु इन की शक्ति को कम करता है।

👉जिस जातिका के पंचम भाव में राहु होता है उस जातिका का मासिक धर्म अनियमित होता है जिस कारण से जातिका को संतान होने में परेशानी हो सकती है।

👉यदि पंचम भाव में राहु शुक्र की युति हो तो वह जातिका योन रोग अथवा प्रसव रोगों से ग्रसित होती है।

👉यदि पंचम भाव में कर्क वृश्चिक व मीन राशि हो और राहु शुक्र की युति उसमें हो तो जातिका प्रेम जाल में फंस जाती है।

👉 यदि राहु के साथ शनि और सूर्य का प्रभाव सप्तम भाव से संबंध घटकों पर हो तो अशुभ फलों में और तेजी आ जाती है।

👉 यदि किसी कुंडली में राहु शनि की युति हो तो शनि का प्रभाव दोगुना हो जाता है।

👉यदि अष्टम भाव में मेष कर्क वृश्चिक या मीन राशि हो और उसमें राहु स्थित हो तो जातिका की शल्यक्रिया अवश्य होती है।

👉 सप्तम भाव में राहु शनि तथा मंगल की युति हो तो दांपत्य का जीवन कस्टमय होता है।

👉 यदि अष्टम भाव में शनि राहु वह मंगल हो तो उस जातक के 90 परसेंट तलाक की संभावना होती है अथवा जीवन भर मतभेद रहते हैं।

👉 यदि मेष या वृश्चिक राशि में आठवें भाव में या दूसरे भाव में राहु पाप ग्रह से युक्त अथवा दृष्ट हो तो मनुष्य का जीवन कस्टमय होता है।

👉 यदि पंचम भाव में राहु मेष या वृश्चिक राशि का हो या मंगल की दृष्टि हो तो उस मनुष्य की संतान की हानि होती है।

👉 यदि राहु गुरु की युति हो तो जातिका का एक बार गर्भपात होता है।

👉 सप्तम भाव में स्थित राहु मनुष्य के जीवन को कस्टमय कर देता है।

👉 यदि दूसरे भाव में धनु राशि का राहु हो तो जातिका धनवान हो जाती है।

👉 ग्यारहवें भाव में राहु शुक्र की युति हो तो जातक का दांपत्य जीवन बहुत दुखी होता है।

👉 यदि शुक्र अथवा गुरु की राहु पर दृष्टि हो तो जातक का अंतर जातीय एवं प्रेम विवाह करती है।

👉 यदि दूसरे भाव में राहु हो तो उस जातिका का विवाह बहुत ही कठिनाई से होता है।

👉 यदि आठवें भाव में या ग्यारहवें भाव में राहु हो तो जातिका का विवाह तो हो जाता है किंतु दांपत्य जीवन कष्टप्रद होता है अथवा अलगाव या तलाक की आशंका अधिक होती है।

👉 राहु की दृष्टि सप्तम भाव सप्तमेश मंगलवार शुक्र पर हो तो ऐसी जातिका अंतरजातीय विवाह करती है।

राहु से युति मैं दांपत्य जीवन का रहस्य बतलाया है।

Palmistry tips

1. गुरु पर्वत पर तिल:  विवाह में देरी होती है लेकिन विवाह होने के बाद जीवन में पूर्ण सफलता मिलती है।

2.शनि पर्वत पर तिल: प्रेम में बदनामी होती है, दुखमय गृहस्थ जीवन रहता है व पति पत्नी में से एक के आग में जलकर समाप्त होने की संभावना रहती है।

3.सूर्य पर्वत पर तिल: समाज में निंदनीय कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़ता है और प्रतिष्ठा को धक्का लगता है।

4.बुध  पर्वत पर तिल: ऐसे व्यक्ति कुली व धोखेबाज होते हैं और इनको व्यापार में हानि होती है।

5.राहू  पर्वत पर तिल: योवनावस्था में आर्थिक हानि होती है।

6.केतु  पर्वत पर तिल: ऐसे लोगों का बचपन दुखमय रहता है।

7.चंद्र पर्वत पर तिल: ऐसे लोगों के विवाह में विलम्ब होता है और जलाघात की संभावना बनी रहती है।

8.कनिष्ठाअंगुली पर तिल: ऐसे लोगों को व्यापार में हानि होती है।

9.अनामिका अंगुली पर तिल: ऐसे लोगों को भी व्यापार में हानि होती है।10.तर्जनी अंगुली पर तिल: ऐसा तिल होने पर नौकरी से पद त्याग करना पड़ता है और बदनामी का सामना करना पड़ता है।

11.मध्यमा अंगुली पर तिल: ऐसे लोगों के भाग्य में बाधाएं आती हैं।

12.शुक्र पर्वत पर तिल: ऐसे व्यक्ति कामी होता है व गुतांगों के रोग की संभावना रहती है।

13.अपर तिल: ऐसे लोगों को परिवारजनों से जीवन भर सहयोग मिलता है।

14.जीवन रेखा पर तिल: ऐसे लोग लम्बे समय तक टी ० बी ० के रोगी रहते हैं।

15. मस्तिक्ष रेखा पर तिल: ऐसे जातकों को सिर पर गंभीर चोट लगती है और मस्तिष्क संबंधीधी रोग होते हैं।

16. ह्रदय रेखा पर तिल: ऐसे लोग कमजोर दिल वाले होते हैं व सदमा देखने नहीं कर पाते हैं।

17. शनि/भाग्य रेखा पर तिल: हथेली के किसी भी हिस्से से शुरू होकर शनि पर्वत पर पहुंचने वाली रेखा भाग्य रेखा कहलाती। क्षमा रेखा पर तिल होने से जीवन में बहुत बाधाएं आती हैं व जीवन दुर्भाग्यपूर्ण बनकर रह जाता है। चित्र में आप भाग्य। रेखा पर तिल की स्तिथि का अंदाजा लगा सकते हैं।

Palmistry

 THE MOUNT OF SATURN--

 It is located in the conscious/mental quadrant on the palm. Being situated under the middle finger, denotes balance & stability, and that only with its normal development. Larger the mount, more Saturnian the nature and the man admits defeat even before viewing the opposition. A real stingy person & his cheerless rupee- pinching ways are more than enough to squash the cheerful optimist & he prone to lead a solitary, misanthropic life style. The over- development of the mount with other negative signs on the hand is linked to melancholia, suicidal tendencies & sometimes an interest in black magic. The optimum size for a good mount is slightly under developed & keep in mind that development of negs boring mounts does not show it like this. It is only then the bearer has caution & carelessness in balance, with light-hearted optimism rather than recklessness taking precedence.
A love of study & research is shown by a good mount, with an inquiring mind, with scientific investigation & with serious approach to life.
Conversely a non-existent mount tells of a feckless Ness that results from a deficient sense of responsibility & seriousness in life.
Traditionally a cross on Saturn indicates a violent & sudden end of life, but cross being a sign of Saturn & on Saturn it is not likely than making a Saturnian more ruthless & direly practical.
A square on the mount is a sign of ' Guardian Angel', preserving us from harm at work.
A triangle on Saturn, inclines one to serious thought about one's place in the universe, or about God, traditionally a sign of ' Shiv Bhakta ', but now suggests a ceaselessly questioning & probing mentality.
A star on Saturn is similar in significance to that of a cross but traditionally a sign of tragic end. But in modern times a sign of learning by hard lessons.
A circle here, though never seen, is traditionally a good omen.
A grille on the mount tends to convert it into an over developed mount & the results accordingly.
Three or more vertical lines here without cutting horizontal lines, indicate a Jack of all & master of none & so multiplicity of interests.

मनुष्य के शरीर में ग्रहों का स्थान - Astro tips

 मनुष्य के शरीर में ग्रहों का स्थान

·सूर्य को शरीर कहा गया हें.

·चन्द्रमा को मन कहा गया हें.

·मंगल को  पराक्रम

·बुध को वाणी-विवेक

·गुरु को ज्ञान और सुख

·शुक्र को काम और वीर्य,

·शनि को दुःख,कष्ट और परिवर्तन तथा

·राहू और केतु को रोग एवं चिंता का करक/अधिष्ठाता माना जाता हें.

उच्च से शुभ / नीच से अशुभ फल

·सूर्य ग्रह मेष राशी में उच्चका होकर शुभ फल देता हें और तुला राशी में नीच का होकर अशुभ फल देता हें

·चन्द्रमा ग्रह वृषभ राशी मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और वृश्चिक में नीच का होकर अशुभ फल देता हें

·मंगल ग्रह मकर में उच्चका होकर शुभ फल देता हें औरकर्क में नीच का फल होकर अशुभ फल देता हें

·बुध ग्रह कन्या मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें का और मीन में नीच का होकर अशुभ फल देता हें

·गुरु ग्रह कर्क मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और मकर में नीच का होकर अशुभ फल देता हें

·शुक्र ग्रह मीन मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और कन्या में नीच का होकर अशुभ फल देता हें

·शनि ग्रह तुला में उच्चका होकर शुभ फल देता हेंऔर मेष में नीच का होकर अशुभ फल देता हें

·राहू ग्रहमिथुन में उच्चका होकर शुभ फल देता हेंऔर धनु में नीच का होकर अशुभ फल देता हें

·केतु ग्रह धनु मेंउच्चका होकर शुभ फल देता हें और मिथुन में नीच का होकर अशुभ फल देता हें .

ध्यान रखें..सिंह एवं कुंभ राशी में कोई भी ग्रह उच्च या नीच का नहीं होता हें..

ज्योतिषसिद्धांत के अनुसार संक्षिप्त में जानिए ग्रह दोष से उत्पन्न रोग और उसकेनिवारण तथा किस ग्रह के क्या नकारात्मक प्रभाव है और साथ ही उक्त ग्रहदोषसे मुक्ति हेतु अचूक उपाय –

उपाय करने का नियम

उपाय किसी योग व्यक्ति की सलाह में ही करें

कभीभी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चहिये तब ही फल प्राप्ति संभव होती है।मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है | इन उपायोंका गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभप्रभाव में लाया जा सकता है। सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनकेजाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक लाभप्रद होते है |  

सूर्य ग्रह

सूर्य पिता, आत्मा समाज में मान, सम्मान,यश, कीर्ति, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा का कारक होता है | इसकी राशि है सिंह |

सूर्य के अशुभ होने का कारण

किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवंकिसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।

कुंडली मेंसूर्य के अशुभ होने पर

पेट, आँख, हृदय का रोग हो सकता है साथ ही सरकारीकार्य में बाधा उत्पन्न होती है।

इसके लक्षण यह है कि मुँह में बार-बारबलगम इकट्ठा हो जाता है, सामाजिक हानि, अपयश, मनं का दुखी या असंतुस्टहोना, पिता से विवाद या वैचारिक मतभेद सूर्य के पीड़ित होने के सूचक है | –

ये करें उपाय-

·ऐसे में भगवान राम की आराधना करे |

·आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करे,सूर्यको आर्घ्य दे, गायत्री मंत्र का जाप करे |

·ताँबा, गेहूँ एवं गुड का दानकरें।

·प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें।

·ताबें के एक टुकड़े कोकाटकर उसके दो भाग करें। एक को पानी में बहा दें तथा दूसरे को जीवन भर साथरखें।

·ॐ रं रवये नमः या ॐ घृणी सूर्याय नमः १०८ बार (१ माला) जाप करे|

सूर्य पारिवारिक उपाय :

यदि कुन्डली मे सूर्य अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे सुर्य अर्थातपिता या पिता तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनी चहियेउन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे पिता या पिता तुल्य लोग आपसेसंन्तुष्ट रहेंगे तो सुर्य के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !

सूर्यदान (दिन – रविवार)

सूर्य ग्रह कि शांति हेतु गेहूँ, ताँबा, घी, गुड़,माणिक्य, लाल कपड़ा, मसूरकी दाल,कनेर या कमल के फूल, गौ दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फलउत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।

·सूर्य सेसम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में ४० से ५० वर्ष केव्यक्ति को देना चाहिए.

सूर्य की शांति के लिए टोटके

·सूर्य कोबली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रात:काल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्पवाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।

·गाय का दान अगर बछड़े समेतगुड़,सोना, तांबा और गेहूंसूर्य सेसम्बन्धित रत्न का दान|

·रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रात:काल उसे पीना चाहिए।

·ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।

·लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।

·किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।

·हाथ में मोली (कलावा) छ: बार लपेटकर बाँधना चाहिए।

·लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना

 चाहिए।

·सूर्य ग्रह की शांति के लिए रविवार के दिन व्रतकरना चाहिए.

·गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए.

·किसी ब्राह्मण अथवागरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभावमें कमी आती है.

·अगर आपकी कुण्डली में सूर्य कमज़ोर है तो आपको अपने पिताएवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहतमिल सकती है.

·सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय केसमय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।

·हाथमें मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।

·लाल चन्दन को घिसकर स्नानके जल में डालना चाहिए।

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

सूर्य के दुष्प्रभावनिवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिकशुभ होते हैं।

क्यान करें—

आपका सूर्य कमज़ोर अथवा नीच का होकर आपको परेशान कर रहा है अथवाकिसी कारण सूर्य की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको

·गेहूं और गुड़ का सेवननहीं करना चाहिए.

·इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चाहिएअन्यथा इससे सम्बन्धित क्षेत्र में आपको और भी परेशानी महसूस हो सकती है

चंद्र ग्रह

चन्द्रमा माँ का सूचक है और मनं का करक है |

शास्त्र कहता है की “चंद्रमा मनसो जात:”|  इसकीकर्क राशि है |

चंद्र के अशुभ होने का कारण

सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे,माता, नानी, दादी, सास एवं इनकेपद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तुके कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।

कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर

माता को किसी भी प्रकार काकष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जातीहै। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घरमें पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं मानसिकतनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मनं में आती है औरमनं में अनिश्चित भय वशंका रहती है और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने केविचार बार-बार आते रहते हैं।

ये करें उपाय-

·सोमवारका व्रत करना,

·माता की सेवा करना,

·शिव की आराधना करना,

·मोती धारण करना,

·दोमोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे कोअपने पास रखें।

·सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही,चीनी, चावल,सफ़ेद वस्त्र, १ जोड़ाजनेऊ,दक्षिणा के साथ दान करना और ॐ सोम सोमाय नमः का १०८ बार नित्य जापकरना श्रेयस्कर होता है |

चन्द्रमापारिवारिक उपाय:

यदि कुन्डली मे चन्द्रमा अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे चन्द्रमाअर्थात माता या माता तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनीचहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे माता या माता तुल्य लोगआपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो चन्द्रमा के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !

चंद्र दान (दिन – सोमवार)

चंद्र ग्रह कि शांति हेतु मोती, चाँदी, चावल,चीनी, जल से भरा हुवा कलश, सफेद कपड़ा, दही, शंख, सफेद फूल, साँड आदि का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैंग्रह:-

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फलउत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।

·चन्दमा से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करते समय ध्यान रखें कि दिन सोमवार हो और संध्या काल हो.

·ज्योतिषशास्त्र में चन्द्रमा से सम्बन्धित वस्तुओं के दान के लिए महिलाओं को सुपात्र बताया गया है अत: दान किसी महिला को दें.

चन्द्रमा की शांति के लिए टोटके

·रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो।

·वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।

·वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।

·सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।

·चन्द्रमा के नीच अथवा मंद होने पर शंख का दानकरना उत्तम होता है. इसके अलावा सफेद वस्त्र, चांदी,चावल, भात एवं दूध कादान भी पीड़ित चन्द्रमा वाले व्यक्ति के लिए लाभदायक होता है.

·जल दानअर्थात प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाना से भी चन्द्रमा की विपरीत दशा मेंसुधार होता है पर बारवें भाव में चंद्रमा वाला ये न करें |

·अगर आपका चन्द्रमा पीड़ित है तो आपको चन्द्रमा से सम्बन्धितरत्न दान करना चाहिए.

·आपका चन्द्रमा कमज़ोर है तो आपको सोमवार के दिन व्रतकरना चाहिए.

·गाय को गूंथा हुआ आटा खिलाना चाहिए तथा कौए को भात और चीनीमिलाकर देना चाहिए.

·किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को दूध में बना हुआखीर खिलाना चाहिए. सेवा धर्म से भी चन्द्रमा की दशा में सुधार संभव है.

·सेवा धर्म से आप चन्द्रमा की दशा में सुधार करना चाहते है तो इसके लिए आपकोमाता और माता समान महिला एवं वृद्ध महिलाओ की सेवा करनी चाहिए.

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

चन्द्रमा के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु सोमवार कादिन,चन्द्रमा के नक्षत्र (रोहिणी, हस्त तथा श्रवण) तथा चन्द्रमा की होरामें अधिक शुभ होते हैं।

क्यान करें—

ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमाकमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को

·ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।

·चन्द्रमा व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए।

·सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पीना चाहिए।

·प्रतिदिन दूध नहीं पीना चाहिए.

·स्वेत वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.

·सुगंध नहीं लगाना चाहिए

·चन्द्रमा सेसम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए.

·कुंडलीके छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है।

·यदि चंद्रबारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएँ और ना ही दूध पिलाएँ।

मंगल ग्रह

मंगल सेना पति होता है,भाई का भी द्योतक और रक्त का भी करक माना गया है |
इसकीमेष और वृश्चिक राशि है |

मंगल के अशुभ होने का कारण

भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू होजाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगलअशुभ फल देता है।

कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर

भाई, पटीदारो सेविवाद, रक्त सम्बन्धी समस्या, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, क्रोधित होना, उत्तेजित होना, वात रोग और गठिया हो जाता है।
रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जाता। व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। मान्यता यह भी है कि बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं।

ये करें उपाय-

·ताँबा, गेहूँ एवं गुड,लाल कपडा,माचिस का दान करें।

·तंदूर की मीठी रोटी दानकरें।

·बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएँ,

·मसूर की दाल दान में दें।

·हनुमद आराधना करना,

·हनुमान जी को चोला अर्पित करना,

·हनुमान मंदिर में ध्वजादान करना,

·बंदरो को चने खिलाना,

·हनुमान चालीसा,बजरंगबाण,हनुमानाष्टक,सुंदरकांड का पाठ और ॐ अं अंगारकाय नमः का १०८ बार नित्यजाप करना श्रेयस्कर होता है |  

मंगल पारिवारिक उपाय :

यदि कुन्डली मे मंगल अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे मंगल अर्थातभाई या भाईयों के तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनीचहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे भाई या भाई तुल्य लोगआपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो मंगल के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !

मंगल दान (दिन – मंगलवार)

मंगल ग्रह कि शांति हेतु मूंगा, मसूर, घी,गुड़, लाल कपड़ा, रक्त चंदन, गेहूँ, केसर,ताँबा, लाल फूल का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।

·दान मंगलवार के दोपहर को करें

·अगर कोई लाल वर्ण का क्षत्रीय या ब्रह्मण मिले तो उत्तम

मंगल की शांति के लिए टोटके

·लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।

·ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।

·बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।

·लाल वस्त्र लिकर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।

·मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर लिकर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।

·बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।

·अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।

·पीड़ित व्यक्ति को लाल रंग का बैल दान करना चाहिए.

·लाल रंग कावस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए.

·मंगलसे सम्बन्धित रत्न दान देने से भी पीड़ित मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आतीहै.

·मंगल ग्रह की दशा में सुधार हेतु दान देने के लिए मंगलवार का दिन औरदोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है.

·जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवारके दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजनकराना चाहिए.

·मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन10 से 15 मिनट ध्यानकरना उत्तम रहता है.

·मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत:धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखनाचाहिए.

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन,मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभहोते हैं।

क्यान करें –

आपका मंगल अगर पीड़ित है तो

·आपको अपने क्रोध नहीं करना चाहिए.

·अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए.

·किसी भी चीज़ में जल्दबाजी नहींदिखानी चाहिए

·भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिए

बुध ग्रह

बुध व्यापार व स्वास्थ्य का करक माना गया है | यह मिथुन और कन्या राशि कास्वामी

है| बुध वाक् कला का भी द्योतक है | विद्या और बुद्धि का सूचक है |

बुध के अशुभ होने का कारण

अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवंमौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देनेपर भी बुध अशुभ फल देता है।

कुंडली में बुध की अशुभता पर

दाँत कमजोर हो जाते हैं। सूँघने की शक्ति कमहो जाती है। गुप्त रोग हो सकता है। व्यक्ति वाक् क्षमता भी जाती रहती है।नौकरी और व्यवसाय में धोखा और नुक्सान हो सकता है।

ये करें उपाय-

·भगवानगणेश व माँ दुर्गा की आराधना करे |

·गौ सेवा करे |

·काले कुत्ते को इमरतीदेना लाभकारी होता है |

·नाक छिदवाएँ।

·ताबें के प्लेट में छेद करके बहतेपानी में बहाएँ।

·अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्तों कोऔर एक हिस्सा कौवे को दें, या अपने हाथ से गाय को हरा चारा, हरा सागखिलाये।

·उड़दकी दाल का सेवन करे व दान करे |

·बालिकाओं को भोजन कराएँ।

·किन्नेरो को हरी साडी, सुहाग सामग्री दान देना भी बहुत चमत्कारी है |

·ॐ बुंबुद्धाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है आथवागणेशअथर्वशीर्ष का पाठ करे|

·पन्ना धारण करे या हरे वस्त्र धारण करे यदि संभव न हो तो हरा रुमाल साथ रक्खे |

बुधपारिवारिक उपाय:

यदि कुन्डली मे बुध अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे बुध अर्थातबहनें या बहनों के तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनीचहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे बहनें या बहनों के तुल्यलोग आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो बुध के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !

बुध दान (दिन – बुधवार)

बुध ग्रह कि शांति हेतु हरे पन्ना, मूँग, घी,हरा कपड़ा, चाँदी, फूल, काँसे का बर्तन,कपूर का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।

·इन वस्तुओं के दान के लिए ज्योतिषशास्त्र में बुधवार के दिन दोपहर का समय उपयुक्त माना गया है.

·किसी छोटी कन्यां बुध की वास्तु दान दें|

बुध की शांति के लिए टोटके

·अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।

·बुधवार के दिन हरे रंग की चूडिय़ाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।

·हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।

·बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।

·घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।

·अपने घर में कंटीले पौधे, झाडिय़ाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।

·तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।

·बुध की शांति के लिए स्वर्ण का दान करना चाहिए.

·हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग का दाल एवं हरे रंग के वस्तुओं का दान उत्तम कहा जाता है.

·हरे रंग की चूड़ी और वस्त्र का दान किन्नरो को देना भी इस ग्रह दशा मेंश्रेष्ठ होता है.

·बुध ग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान भी ग्रह की पीड़ामें कमी ला सकती है.

·बुध की दशा में सुधार हेतु बुधवारके दिन व्रत रखना चाहिए.

·गाय को हरी घास और हरी पत्तियां खिलानी चाहिए.

·ब्राह्मणों को दूध में पकाकर खीर भोजन करना चाहिए.

·बुध की दशा में सुधार केलिए विष्णु सहस्रनाम का जाप भी कल्याणकारी कहा गया है.

·रविवार को छोड़करअन्य दिन नियमित तुलसी में जल देने से बुध की दशा में सुधार होता है.

·अनाथों एवं गरीब छात्रों की सहायता करने से बुध ग्रह से पीड़ित व्यक्तियोंको लाभ मिलता है.

·मौसी, बहन, चाची बेटी के प्रति अच्छा व्यवहार बुध ग्रह कीदशा से पीड़ित व्यक्ति के लिए कल्याणकारी होता है.

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

बुध के दुष्प्रभावनिवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

क्यान करें-

ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार बुध कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को

·प्रतिदिन हरे पदार्थ नहीं खाना चाहिए.

·हरे वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.

गुरु ग्रह

वृहस्पतिकी भी दो राशि है धनु और मीन |

गुरु के अशुभ होने का कारण

अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति कोकष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।

कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर

सिर के बाल झड़ने लगते हैं। परिवार में बिना बात तनाव, कलह – क्लेश कामाहोल होता है | सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। आर्थिक नुक्सान या धन काअचानक व्यय,खर्च सम्हलता नहीं,शिक्षा में बाधा आती है। अपयश झेलना पड़ताहै। वाणी पर सयम नहीं रहता | –

ये करें उपाय-

·ब्रह्मणका यथोचित सामान करे |

·माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएँ।

·कलाई में पीलारेशमी धागा बांधे |

·संभव हो तो पुखराज धारण करे अन्यथा पीले वस्त्र याहल्दी की कड़ी गांड साथ रक्खे |

·कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाकसाफ करें।

·दान में हल्दी, दाल, पीतल का पत्र,कोई धार्मिक पुस्तक, १ जोड़ाजनेऊ,पीले वस्त्र, केला, केसर,पीले मिस्ठान,दक्षिणा आदि देवें।

·विष्णुआराधना करे |

·ॐ व्री वृहस्पतये नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्करहोता है |

गुरूपारिवारिक उपाय:

यदि कुन्डली मे गुरू अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे गुरू अर्थातअध्यापक,धर्म आचार्य आदि या उनके तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहियेउनकी सेवा करनी चहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये, यदि अध्यापक, धर्म आचार्यआदि या उनके तुल्य लोग आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो गुरू के अशुभ प्रभाव सेआप बचे रहेंगे !

बृहस्पतिदान (दिन – गुरुवार)

बृहस्पति ग्रह कि शांति हेतु पुखराज, चने की दाल, हल्दी, पीला कपड़ा, गुड़, केसर,पीला फूल, घी और सोने की वस्तुओं का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।

·दान करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो|

·दान किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को देना विशेष फलदायक होता है

गुरु की शांति के लिए टोटके

·ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता,गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों केप्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श करआशिर्वाद लेना चाहिए।

·सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।

·ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर नि:शुल्क सेवा करनी चाहिए।

·किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।

·गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।

·गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकरगाय को खिलानी चाहिए।

·बृहस्पति के उपाय हेतु जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए उनमेंचीनी,केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक,मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजनउत्तम कहा गया है.

·इस ग्रह की शांति के लए बृहस्पति से सम्बन्धित रत्न कादान करना भी श्रेष्ठ होता है.

·बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखना चाहिए.

·कमज़ोरबृहस्पति वाले व्यक्तियों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए.

·ब्राह्मणों एवं गरीबों को दही चावलखिलाना चाहिए.

·रविवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर अन्य सभी दिन पीपल के जड़को जल से सिंचना चाहिए.

·गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवासहोता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है.

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकोंहेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद)तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

क्यान करें –

ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार गुरु कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को प्रतिदिन चना नहीं खाना चाहिए.

·पीले वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.

·केलाका सेवन और सोने वाले कमड़े में केला रखने से बृहस्पति से पीड़ितव्यक्तियों की कठिनाई बढ़ जाती है अत: इनसे बचना चाहिए।

·ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।

शुक्र ग्रह

शुक्र भी दो राशिओं का स्वामी है, वृषभ और तुला | शुक्र तरुण है, किशोरावस्था का सूचक है, मौज मस्ती,घूमना फिरना,दोस्त मित्र इसके प्रमुखलक्षण है |

शुक्रके अशुभ होने का कारण

अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घरमें गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।

कुंडली में शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर

मनं में चंचलतारहती है, एकाग्रता नहीं हो पाती | खान पान में अरुचि, भोग विलास में रूचिऔर धन का नाश होता है | अँगूठे का रोग हो जाता है। अँगूठे में दर्द बनारहता है। चलते समय अगूँठे को चोट पहुँच सकती है। चर्म रोग हो जाता है।स्वप्न दोष की श‍िकायत रहती है।

ये करें उपाय

·माँ लक्ष्मी की सेवा आराधना करे |

·श्री सूक्त का पाठ करे |

·खोये केमिस्ठान व मिश्री का भोग लगाये |

·ब्रह्मण ब्रह्मणि की सेवा करे |

·स्वयं केभोजन में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य दें।

·कन्या भोजन कराये |

·ज्वार दान करें।

·गरीब बच्चो व विद्यार्थिओं में अध्यन सामग्री का वितरण करे |

·नि:सहाय, निराश्रय के पालन-पोषण का जिम्मा ले सकते हैं।

·अन्न का दान करे |

·ॐ सुं शुक्राय नमः का 108 बार नित्य जाप करना भी लाभकारी सिद्ध होता है |

शुक्रपारिवारिक उपाय:

यदि कुन्डली मे शुक्र अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो

 परिवार मे शुक्र अर्थातपत्नी या सम्पर्की लोगों से मधुर सम्बन्ध रखने चहिये, उनकी भावनाओं कासम्मान करना चहिये और उनको संन्तुष्ट और प्रसन्न रखना चहिये, यदि पत्नी यासम्पर्की लोग आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो शुक्र के अशुभ प्रभाव से आप बचेरहेंगे !

शुक्रदान (दिन -शुक्रवार)

शुक्र ग्रह किशांति हेतु श्वेत रत्न, चाँदी,चावल, दूध, सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरबत्ती, इत्र, सफेद चंदन दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।

·वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्याकाल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है.

शुक्र की शांति के लिए टोटके

·काली चींटियों को चीनीखिलानी चाहिए।

·शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।

·किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

·किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।

·अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।

·किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।

·शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।

·शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है. इसग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देनाचाहिए.

·रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध,चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूरका दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है.

·शुक्र से सम्बन्धितरत्न का दान भी लाभप्रद होता है.

·शुक्र ग्रह से सम्बन्धितक्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रतरखें.

·मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें.

·ब्राह्मणों एवं गरीबों कोघी भात खिलाएं.

·अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं.

·वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें.काली चींटियों कोचीनी खिलानी चाहिए।

·शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।

·किसीकाने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

·किसीमहत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरणस्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।

·अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।

·किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।

·शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

शुक्र के दुष्प्रभावनिवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी,पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होतेहैं।

क्या न करें—-
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार शुक्र कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को

·प्रतिदिन सुगंध नहीं लगाना चाहिए .

·स्वेत और चमकीले  वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए.

·शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

शनि ग्रह

शनि की गति धीमी है | इसके दूषित होने पर अच्छे से अच्छे काम में गतिहीनताआ जाती है |

शनिके अशुभ होने का कारण

ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति कोकष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देवअशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहींकरते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।

कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान काहिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है। अंगों के बाल झड़ जाते हैं।शनिदेव की भी दो राशिया है,मकर और कुम्भ | शारीर में विशेषकर निचले हिस्सेमें ( कमर से नीचे ) हड्डी या स्नायुतंत्र से सम्बंधित रोग लग जाते है |वाहन से हानि या क्षति होती है | काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है। अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।

ये करें उपाय –

·हनुमानआराधना करना,

·हनुमान जी को चोला अर्पित करना,

·हनुमान मंदिर में ध्वजा दानकरना,

·बंदरो को चने खिलाना,

·हनुमान चालीसा, बजरंग बाण,हनुमानाष्टक, सुंदरकांड का पाठ और ॐ हन हनुमते नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्करहोता है |

·नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करे |

·यदिकुंडली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को ताँबे का सिक्का या बर्तन कभी नदें यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा।

·कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ।

·तेल में अपना मुख देखवह तेल दान कर दें (छाया दान करे ) ।

·लोहा, काली उड़द, कोयला, तिल,जौ, काले वस्त्र, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें।

शनिपारिवारिक उपाय:

यदि कुन्डली मे शनि अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे शनि अर्थातपरिवार य समाज के सेवक अर्थात घर के नौकर आदि से प्रेम भाव से व्यवहार करनाचहिये उनकी सेवा का पूर्

ण मूल्य देना चहिये उन्हें प्रसन्न रखना चहिये यदिपरिवार के सेवक अर्थात घर के नौकर आदि आपसे संन्तुष्ट रहेंगे तो शनि केअशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !

शनिदान (दिन -शनिवार)

शनि ग्रह कि शांति हेतु निलम, काला कपड़ा, साबुत उड़द, लोहा, यथासंभव दक्षिणा, तेल, काला पुष्प, काले तिल,चमड़ा, काले कंबल का दान करने सेशुभ फल कि प्राप्ति होती हैं

शनि की शांति के लिए टोटके

·शनिवारके दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।

·भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।

·भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।

·किसी दु:खी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।

·घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।

·उन्हें कालीगाय का दान करना चाहिए.

·काला वस्त्र, उड़द दाल, काला तिल,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल,लोहा, खेती योग्य भूमि, बर्तन व अनाज का दान करना चाहिए.

·शनि से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है.

·शनि ग्रह की शांति के लिएदान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दानप्राप्त करने वाला व्यक्ति ग़रीब और वृद्ध हो.

·शनि के कोप से बचने हेतुव्यक्ति को शनिवार के दिन एवं शुक्रवार के दिन व्रत रखना चाहिए.

·लोहे केबर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए.

·रोटीपर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए.

·तिल और चावल पकाकर ब्राह्मणको खिलाना चाहिए.

·अपने भोजन में से कौए के लिए एक हिस्सा निकालकर उसे दें.

·शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ,

·महामृत्युंजयमंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है.

·शनि ग्रह केदुष्प्रभाव से बचाव हेतु गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छाव्यवहार रखें.

·मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है.

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जारहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

क्या न करें—

ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को

·शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।

·यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तोधर्मशाला आदि न बनवाएँ।

·शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।

राहु –

मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी,आपसी तालमेल मेंकमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना,

राहुके अशुभ होने का कारण

राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल दुखाने से, बड़े भाई को कष्टदेने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करनेसे राहु अशुभ फल देता है।

कुंडलीमें राहु के अशुभ होने पर

हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। राजक्ष्यमारोग के लक्षण प्रगट होते हैं। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ाआथवा दर्द रहना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राबहोना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने कीसंभावना रहती है। जल स्थान में कोई न कोई समस्या आना आदि |

राहू पारिवारिक उपाय :

यदि कुन्डली मे राहू अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे राहू अर्थातदादा या दादा तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनी चहियेउन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे दादा या दादा तुल्य लोग आपसेसंन्तुष्ट रहेंगे तो राहू के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !

राहुदान (दिन -शनिवार)

राहु ग्रह कि शांति हेतु काला एवं गोमेद,नीला कपड़ा, कंबल, साबूतसरसों (राई),ऊनी कपड़ा, काले तिल व तेल का दान करने से शुभ फल किप्राप्ति होती हैं

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए।

·राहू का दान किसी भंगी को शनिवार को राहुकाल में देना उत्तम होगा

ये करें उपाय

·गोमेदधारण करे |

·दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे |

·तिल, जौ किसी हनुमानमंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे |

·जौ या अनाज को दूध में धोकरबहते पानी में बहाएँ,

·कोयले को पानी में बहाएँ,

·मूली दान में देवें, भंगीको शराब, माँस दान में दें।

·सिर में चोटी बाँधकर रखें।

·सोते समय सर के पासकिसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे|

·इसकेसाथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक,सुंदरकांड कापाठ और ॐ रं राहवे नमः का 108  बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है |

राहु की शांति के लिए टोटके

·ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।

·हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।

·अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है

·जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।

·यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रात:काल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।

·झुठी कसम नही खानी चाहिए।

·बन्दरों को बैंगन या फल खिलाये|

·गरीबो को कम्बल , साबुन , या नमक का दान करें|

·मंगलवार , शनिवार श्री हनुमान जी को छुवारे ( खारक ) का प्रसाद अर्पण करें और बच्चो में बाटें|

·श्री हनुमान जी को यथा संभव गुड़ ,चनें का भोग रविवार , मंगलवार , व शनिवार को लगावें|

·प्रत्येक रविवार को श्री हनुमान जी को 11 या 21 लोगं की माला पहनाए और बजरंग बाण का पाठ करे ।

·भगवान शिव को पिण्ड खजूर का प्रसाद अर्पण करें और बांटें ।

·बहतें पानी में कोयले बहायें ।

·ताम्र पात्र का ही जल पीयें । और संभव हो तो ताम्र गिलास में ही जल पिवें ।

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहेटोटकों हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथाशनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

क्या न करें—

ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को

·दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।

·किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहे|

केतु – केतु

      यह राहू की तरह ही छाया ग्रह है

केतु के अशुभ होने का कारण

भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनकाहक छीनने पर केतु अशुभ फल देना है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारामरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठीगवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं। अत: मनुष्य को अपना जीवनव्यवस्‍िथत जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहींचलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहोंके अशुभ कष्ट सहना पड़े।

कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर

चर्म रोग, मानसिकतनाव, आर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी,आपसी तालमेल में कमी, बातबात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलना, जोड़ों का रोग यामूत्र एवं किडनी संबंधी रोग हो जाता है।
 संतानको पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटना,उदर कस्ट, मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्दरहना, अपयश की प्राप्ति,सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहताहै, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।

केतुदान (दिन -मंगलवार)

केतु कि शांति हेतु सातप्रकार के वैदूर्य,अनाज, काजल, झंडा, ऊनी कपड़ा, तिल आदि का दान करने सेशुभ फल कि प्राप्ति होती हैं

दान किसे और कब दें

दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ   समय में सुपात्र को दिया जाए।

·दान मंगलवार करें|

ये करें उपाय–

·दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे |

·तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे |

·कान छिदवाएँ।

·सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ मेंदाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे |

·इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक,सुंदरकांड का पाठ और ॐ कें केतवे नमः का १०८बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है |

·अपने खाने में से कुत्ते,कौव्वे को हिस्सा दें।

·तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिओं को बाजरा दे |

·चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व्यपूर्ण है |

केतूपारिवारिक उपाय:

यदि कुन्डली मे केतू अशुभ प्रभाब दे रहा हो तो परिवार मे केतू अर्थात नाना या नाना तुल्य लोगों का आदर सत्कार करना चहिये उनकी सेवा करनी चहियेउन्हें प्रसन्न रखना चहिये , यदि परिवार मे नाना या नाना तुल्य लोग आपसेसंन्तुष्ट रहेंगे तो केतू के अशुभ प्रभाव से आप बचे रहेंगे !

केतु की शांति के लिए टोटके

·भिखारी को दो रंग का कम्बलदान देना चाहिए।

·नारियल में मेवा भरकर भूमि में दबाना चाहिए।

·बकरी को हरा चारा खिलाना चाहिए।

·ऊँचाई से गिरते हुए जल में स्नान करना चाहिए।

·घर में दो रंग का पत्थर लगवाना चाहिए।

·चारपाई के नीचे कोई भारी पत्थर रखना चाहिए।

·किसी पवित्र नदी या सरोवर का जल अपने घर में लाकर रखना चाहिए।

विशेष प्रभाव के लिए नीचे ध्यान दें

केतु केदुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, केतु केनक्षत्र (अश्विनी, मघा तथा मूल) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं

क्या न करें—

ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को

·किसी कुत्ते को चोट न पहुचाये|

उपाय करने का नियम

उपरोक्त उपाय किसी योग व्यक्ति की सलाह में ही करें

कभीभी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चहिये तब ही फल प्राप्ति संभव होती है।मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है | इन उपायोंका गोचरवश प्रयोग करके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभप्रभाव में लाया जा सकता है। सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनकेजाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक लाभप्रद होते है।

Astro Tips

 वैदिक ज्योतिष के कुछ सूत्र  !

आर्थिक परेशानी क्यों:-
-1)यदि धन भाव का स्वामी 6,8,12 में हो
2)लाभ भाव का स्वामी 6,8,12 में हो
3)चंद्र पीड़ित हो
4)दशम भाव का स्वामी 6,8,12 भाव में हो तो व्यापार में लाभ नहीं होता है!(Generally)

          ये कुछ ऐसे दोष है जिनके होने से आर्थिक परेशानी लगी रहती है !
          अब बात करते है केपी ज्योतिष के द्वारा इन दोषो की तीव्रता जानना :-

1)किसी भी ग्रह में 5,8,12 नहीं हो तो उसका उतना दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है
2)यदि किसी भी ग्रह में 2,6,7,10,11 हो तो वैदिक के अनुसार अशुभ होने पर भी वह अशुभ प्रभाव नहीं देता है
3)यदि कोई ग्रह वैदिक से भी अशुभ है और केपी से भी अशुभ है तो वह सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव वाला ग्रह होता है
           इस प्रकार हम केपी ज्योतिष के द्वारा  ग्रहो कि अच्छाई और नकारत्मकता सटीकता से जान सकते है और सटीक विश्लेषण कर सकते  हैं !

MARRIAGE COMPATIBILITY


             
       Marriage is the most important event in the life of a person. Getting right life partner is a boon in one's life.
     Nakshatra Comparability is the first step in match making.
    For example, a boy with Jyestha Girl  & boy with Ashwini Nakshatra is straightway rejected.
       Kuta agreement(   कूट मिलान) is based on the star occupied by Moon in both charts.
     These kuta factors assess the comparability at various levels like psychological spiritual physical and subconscious levels.
   Following are the points to be considered for match making-
1- VARNA KUTA : It's weightage is one point.
     it indicates the evolution of the soul with relation to the type of mentality.

2- VASYA KUTA : it has the weightage of two points.
     It indicates the the intensity of mutual attraction and affection between the partners.

3- DINA KUTA : it has the weightage of three points.
 It indicates the health and well-being of the couple.

4- YONI KUTA : It has the weightage of four points. Every Nakshatra has characteristics of an animal .
This making indicates physical compatibility, mutual attraction and love between the couple.

5- GRAHA MAITRI : It has the weightage of five points.
It indicates prospects for progeny, mental qualities and affection for the partners.
 It also shows the intellectual level and spiritual plane of existence.

6- GANA KUTA : It has the weightage of six points.
It deals with the inherent nature of the native and indicates the compatibility between temperament and mutual daily behaviour.

7- RASI KUTA : it has the weightage of seven points .
It indicates the continuation of the family line due to birth of children , family welfare and economic conditions of the partners.

NADI KUTA : It has the weightage of seven points.
This compatibility factor is very important.
 It indicates health longevity and happiness of the issue.
   When the two partners have same Nadi, then their children have a very high risk of genetic diseases .

     While match making the above mentioned conditions are traditional.
      Many a times it is common observation that many couples with 30 + Guna Milan have unsuccessful marriage , whereas Couples with 10 Gunas have successful marriage. Here voraciouness of Horoscopes should be done.
There are many more points which are neglected while match making. Some of these are as follows-
    1-  There shouldn't be concentration of malefics on 7 th House of influence of malefics on 7 th House.

  2- Dasha pattern must be analysed carefully.

 3- One must analyze UPPADA Chart for minute details for success of marriage.

4- If same type of Dosha are present in similar houses of both charts, then they get nuteralised.
For example sun in fifth house of both charts nullify dosha of both chart.

5- If Jupiter of one chart blesses vital house of each other charts,then one must go ahead.

6- Do same for Saturn.

7- Eight house of Female chart must not be under malefic effects.
 
8- Lagna lords of both charts should have Comparability.

9-Kuja Dosha must be studied with utmost care.

10- For fine results D-1 of  one should be compared with D-9 of other.
      Besides these there may be a number of other factors. But these are enough.

लाल किताब और मकान- Laal Kitab

लाल किताब और मकान
दोस्तों आज हम लाल किताब के एक और विषय के बारे मैं बात करेंगे मकान कब बनाना चाहिये इस विषय पर लाल किताब का क्या मत है मैं वह बताना चाहूंगा।

जैसा की हम जानते है खुद का बनाया मकान हम शनि के द्वारा देखते है। शनि की स्थिति जिस भाव मैं हो उसके द्वारा हम निश्चित करते है की मकान बनाना सही प्रभाव देगा या नहीं. मित्रों मैं बार बार एक बात ज़रूर कहना चाहूँगा की ये बातें मोटे तौर पर है परन्तु इसके अलावा और भी नियम लागू किये जाते है। जो की किसी वयक्ति विशेष की कुंडली देखे जाने के बाद ही लिया जा सकता है।

शनि यदि खाना 1 मैं हो तो 48 वर्ष की आयु से पहले मकान बना लेना दुखदाई हो सकता है

शनि यदि खाना 2 मैं हो तो जब जैसे मकान बने बना लेना चाहिये

शनि यदि खाना 3 मैं हो तो उपाए के उपरांत ही बनावे।

शनि यदि खाना 4 मैं हो तो अपने नाम पर मकान बनाना उत्तम नहीं होगा

शनि यदि खाना 5 मैं हो तो 48 से पहले ना ही बनाये तो अच्छा होगा

शनि यदि खाना 6 मैं हो तो 36 , 39 वर्ष के बाद ही बनाये

शनि यदि खाना 7 मैं हो तो बना बनाया ले तो बेहतर होगा

शनि यदि खाना 8 मैं हो तो ना ही बनाये तो बेहतर

शनि यदि खाना 9 मैं हो तो 2 से अधिक ना ही बनाये तो उत्तम होगा

शनि यदि खाना 10 मैं हो तो अपनी कमाई ना लगाए तो बेहतर होगा

शनि यदि खाना 11 मैं हो तो 55 वर्ष आयु से पूर्व ना बनाये।

शनि यदि खाना 12 मैं हो तो जब बने बना लेना चाहिए।