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06 May 2021

Astro tips

 वैदिक ज्योतिष की सहायता से जन्म कूण्डली द्वारा जाना जा सकता है कि कौन व्यक्ति नशा कर सख्ता है व किस प्रकार का कर सख्ता है

    ग्रहो में राहु का प्रभाव दैत्य के समान है।यदि जन्म कूण्डली में राहु अत्यधिक बलशाली हो तो नशे की और व्यक्ति का रुझा दर्शाता है।
जितनी भि बूरी लत होती है उनका कारक राहु ही है।
यदि कूण्डली में लग्न,द्वितीय,सप्तम तथा द्वादस भावव में से किन्ही एक मे स्तिथ हो तो जातक नशा करने वाला होता है।
राहु का सबसे अधिक प्रभाव द्वितीय भाव मे होने पर होता पर पड़ता है क्योकि वह मुख का भाव होता है।राहु के द्वारा प्रदत्त नाशो मे धूम्रपान प्रथम स्थान पर होता है।।

     चन्द्रमा भी मादक पदार्थो व नशा का कारक माना गया है।सोमरस का नाम भी चन्द्रमा के नाम से ही है।चन्द्रमा सुगन्धित द्रव्यों का कारक ग्रह है।
 चन्द्रमा यदि कृष्ण पक्ष अष्ठमी से अमावस्या का यदि जन्म कूण्डली में स्तिथ हो और यदि लग्न या दूसरे भाव मे स्तिथ हो तथा 6,11 वे भावो के स्वामी का उस पर यूटिया दृष्टि द्वारा प्राभावि या राहु का प्रभाव हो टैसा जातकं भयंकर शराबी होता है।

   यदि मंगल ग्रह का प्रभाव लग्न पर हो तो जातक नशे के साथ माँस या अभक्ष्य भोजन का प्रयोग करता है वह जमाने की देखा देखी व संगत के प्रभाव से नशे की शुरुवात करते है।ऐसे जातक नशे में लड़ाई झगड़े व दंगा करते है।

     शुक्र ग्रह के प्रभाव वाले जातक भोग व आनन्द के लिए नशे की शुरुवात करते है।
   कुल मिलाकर नशे में ग्रहो में राहु,चन्द्र,मंगल,शुक्र के बलहीन व भावो मेलग्न,द्वितीय,सप्तम व द्वादस भावोके प्रभाव के कारण कूण्डली का जातक नशे की लत का आदि व न शेड़ी बनता है।

जिस जातक की कुंडली में एक या दो ग्रह नीच राशी में होते है और चन्द्रमा पीड़ित होकर शत्रु ग्रह में दूषित होता है उसमे मादक पदार्थो के सेवन की इच्छा प्रबल होती है |

—-द्वितीय भाव जिसे भोजन , कुटुंब , वाणी आदि का भाव भी कहा जाता है , के स्वामी की स्थति से भी उसके द्वारा मादक पदार्थो के सेवन का ब्यौरा मिल जाता है |

—–कलयुग में राहू शनि मंगल व् क्षीण चन्द्रमा ग्रहों की मानसिक चिन्ताओ को उजागर करने में आगे रहते है |

—–शुक्र की अपनी नीच राशी कन्या में मौजूदगी मादक पदार्थो के सेवन का प्रमुख कारण बनती है |

——नीच गृह लोगो को नशा कराते है , जिससे जातक अपने साथ ही साथ अपने परिवार को भी अपमानित कराता है |

जन्म कुंडली में राहु का अत्यधिक बलवान होना नशे की और व्यक्ति का रुझान दर्शाता हैं। जितनी भी बुरी लत हैं, उनका कारक राहु ही हैं। राहु यदि जन्म कुंडली के 1,2,7 तथा 12वें स्थान में स्थित हो तो जातक नशा करने वाला होता हैं।  राहु का सबसे अधिक प्रभाव दूसरे स्थान पर होने से पडता हैं।

चंद्र यदि लग्न या दूसरे स्थान पर हो तथा 6,11 स्थान के मालिक का उस पर प्रभाव हो या राहु का प्रभाव हो तो व्यक्ति भयंकर शराबी होता है।
 

खाने पीने का सम्बंध चंद्रमा से है और नशा का राहु से संबंध होता है जब कुंडली मे राहु प्रथम घर , दूसरे ,सातमे या बाहरवें घर मे हो या चंद्रमा, राहु के नक्षत्र आद्रा, स्वाति, शतभिषा में दोनों का बैठना इसके अलावा दूसरे घर के स्वामी का नीच होना या राहु के साथ बैठने का मतलब जातक नशे की और जाने का स्पष्ट संकेत देता है
जिस जातक की कुंडली मे 2या 3 ग्रह नीच होते है और चंद्रमा पीडित होकर शत्रु राशि मे हो , तोह उसमे मादक पदार्थो के सेवन की प्रबल इच्छा होती है ,
मेष लग्न , कुंभ लग्न, वृश्चिक लग्न , सिंह लगन वाले जातक की कुंडली मे राहु 6थे ,8वे ,12 वे घर मे हो तोह जातक शराब पीने का बहुत शौकीन होता है
12 में घर के मालिक का शत्रु राशि या नीच होना जातक को नशेड़ी बनाता है बशर्ते कोई शुभ ग्रह न देख रहा हो, कुंडली मे पंचम घर पर राहु की दृष्टि , या पीड़ित शनी की दृष्टि हो तब भी जातक नशे की और अग्रसर रहता है


वैसे अगर देखा जाए तो राहु केतु के प्रभाव में जो व्यक्ति आता है वह नशे का आदी होता है परंतु अकेला राहु सिर्फ धूम्रपान ही कराता है ना की शराब की लत लगा सकता है प्रथम द्वितीय छटा सातवा 11वां और 12वां यह अगर ग्रस्त हो तो जातक नशे का भी होता है राहु के साथ यदि चंद्रमा ग्रसित हो तो शराब की लत लग जाती है और यदि मंगल का प्रभाव लग्न पर हो और राहु से ग्रसित हो तो जातक मांसाहारी बनता है वह लड़ाई झगड़ा करता है उसे बुरी तरह नशे की लत लग जाती है और यदि शुक्र ग्रसित हो तो जातक आनंद प्राप्ति के लिए नशा करने लग जाता है लेकिन यह भाव जो बताए गए हैं वह राहु से ग्रसित होने चाहिए तभी जातक को नशे की लत लगती है।
सूक्ष्म में।


जब कुंडली मे लग्न /लग्नेश या चन्द्र लग्न से द्वितीय भाव / भावेश की दृस्टि या किसी भी प्रकार का सम्बन्ध शनि,राहु से बने बुध,गुरु भी पीड़ित अवस्था मे हो तो जातक नशे की ओर अग्रसर होता है इनमे भी अगर षष्टम भाव मे राहु हो ओर द्वितीय भाव को पीड़ित कर रहा हो तो जातक को नशे की लत हो जाती है ग्रहो की प्रकृति के अनुसार अलग अलग प्रकार के नशे की लत हो सकती है l

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