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16 December 2025

ज़िंदगी में कुछ भी खो जाए, उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए |

यह एक बहुत गहरी और सकारात्मक सोच है कि ज़िंदगी में कुछ भी खो जाए, उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि उम्मीद ही हमें आगे बढ़ने की ताकत देती है, मुश्किल समय में संबल देती है और हर नई शुरुआत का आधार बनती है; यह हमें निराश होने से बचाती है और सिखाती है कि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत है, और यही सोच इंसान को अंदर से मजबूत बनाती है।


क्यों उम्मीद ज़रूरी है?

  • प्रेरणा का स्रोत: उम्मीद हमें अपने लक्ष्यों को पाने के लिए प्रेरित करती है और हार मानने से रोकती है।
  • मानसिक शक्ति: यह हमें निराशा और उदासी से बचाती है, और मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत देती है।
  • नई शुरुआत: उम्मीद ही हमें यह विश्वास दिलाती है कि हर बुरे वक्त के बाद अच्छा वक्त आता है और एक नई शुरुआत संभव है।
  • सकारात्मकता: जब हम उम्मीद रखते हैं, तो हम जीवन को सकारात्मक नजरिए से देखते हैं, जिससे जीवन और खूबसूरत लगता है।

जब उम्मीदें टूटें तो क्या करें?
  • खुद पर भरोसा: दूसरों से उम्मीदें कम करके खुद पर भरोसा करना सीखें। आप खुद अपनी सबसे बड़ी उम्मीद हो सकते हैं।
  • नई दिशा: जब एक रास्ता बंद हो जाए, तो हमेशा एक नया रास्ता खुलता है; बस उसे देखने की नजर चाहिए।
  • सब्र रखें: सब्र का फल मीठा होता है।
यह कहावत जीवन की एक महत्वपूर्ण सीख है कि "उम्मीद पर दुनिया कायम है" और यही उम्मीद हमें जीवन के हर उतार-चढ़ाव में संभाले रखती है।

07 October 2025

🌿 How to Know Your Caliber — Step by Step (in Real Life Style)

 


“Apni caliber” samajhna matlab apni asli potential ko pehchanna — kis cheez mein aap naturally strong ho, aur kaha par improvement chahiye. Yeh process ek din mein nahi hota, yeh self-discovery journey hai.
Let’s go step-by-step:

Step 1: Apne Aap Ko Samjho (Personal SWOT Analysis)

Yahan se shuruaat hoti hai.
Lelo ek notebook aur likho:

SectionAsk YourselfExample
StrengthsMain kis cheez mein naturally accha hoon? Log mujhe kis liye appreciate karte hain?Communication, writing, problem-solving, empathy
WeaknessesKaha par main baar-baar atakta hoon ya confidence lose karta hoon?Time management, technical knowledge
OpportunitiesKaunsi cheez seekh kar main apni value badha sakta hoon?Public speaking course, new software skill
ThreatsKya baatein mere growth ko rok sakti hain (internal or external)?Fear of failure, toxic work environment

👉 Tip: Be brutally honest. Yahan dikhawa chalega nahi.

Step 2: Feedback Lo – Par Samajhne ke Iraade Se

Apni nazar kabhi kabhi biased hoti hai.
So, doosron ki nazar se khud ko dekhna zaruri hai.

  • Ask Specific Questions: “Mujhe batao, meri communication style kaisi hai?” ya “Team projects mein mera role kaisa lagta hai?”

  • 360° Feedback: Boss, colleague, friend — sabse thoda-thoda feedback lo.

  • Accept Gracefully: Feedback ko criticism mat samjho, clarity samjho.

👉 Ek baar likh lo feedbacks. Patterns samajh mein aayenge — wahi aapka real mirror hai.

Step 3: Push Your Limits – Comfort Zone Se Bahar Aao

Aapko apni caliber tabhi samajh aayegi jab aap thoda stretch karoge.

  • Try New Roles: Agar aap introvert ho, ek presentation lo. Agar manager ho, ek creative project me involve ho jao.

  • Seek Discomfort: Thoda uncomfortable feel karna growth ka sign hai.

  • Observe Yourself: Jab challenge aata hai, aapka behavior kaisa hota hai? Calm ya panic? Yahi aapka “inner caliber test” hai.

Step 4: Analyze Past Wins and Fails

Life already clues deti hai. Sirf dekhna seekho.

  • Write down 3 big successes – kya common tha unmein? (Dedication, planning, timing?)

  • Write down 3 failures – unmein kya repeat hua? (Overconfidence, delay, lack of clarity?)

👉 Is reflection se pattern milta hai. Patterns = Potential clarity.

Step 5: Use Scientific Tools (Optional but Powerful)

Kabhi kabhi human intuition ke saath science bhi zaruri hoti hai.

  • Personality Tests: MBTI, DISC, or CliftonStrengths – yeh batate hain aap kis style mein kaam karte ho.

  • Aptitude & DMIT Tests: In tests se aapko pata chal sakta hai ki aapka natural intelligence type kya hai (logical, creative, interpersonal, etc.).

  • Career Counsellor ya Coach: Kabhi-kabhi third-party professional guidance clarity ko next level pe le jaata hai.

Step 6: Regular Self-Reflection Habit Bana Lo

Yeh sab ek din ka kaam nahi hai. Apni caliber daily check-in mangti hai.

  • Journaling: Har weekend likho – “Is week maine kya seekha, aur kaha struggle kiya?”

  • Meditation or Silence Time: 10–15 min daily, bina phone ke. Bas observe karo apne thoughts.

  • Monthly Review: Ek baar mahine mein apna “progress chart” dekho.
    Kya seekha? Kya chhoda? Kya improve karna hai?

Step 7: Align Actions with Your Caliber

Jab clarity mil jaye, usko direction do.

  • Aapka kaam aapke strengths ke aas-paas hona chahiye.
    Example: Agar aapka strength communication hai, toh teaching, counselling, or training fields naturally fit ho sakte hain.

  • Weaknesses ko manage karo, hide nahi.
    Example: Time management weak hai? Tools use karo, not guilt.

Bonus Tip:

Don’t compare your caliber with others.
Each person has a different karmic blueprint, upbringing, and energy pattern.
Your job is to evolve your own best version — step by step.

🌟 In Short:

“Caliber is not about how much you can do.
It’s about how consistently you perform at your best level — even under pressure.”

01 October 2025

🪔 अक्टूबर 2025 के प्रमुख व्रत, त्योहार और राशि गोचर 🪔

 


🌸 व्रत और पर्व

  • 01 अक्टूबर (बुधवार) – शारदीय नवरात्रि महानवमी (माँ सिद्धिदात्री पूजा)

  • 02 अक्टूबर (गुरुवार) – दशहरा / विजयादशमी (रावण दहन, प्रतिमा विसर्जन)

  • 03 अक्टूबर (शुक्रवार) – पापांकुशा एकादशी (लक्ष्मी-नारायण पूजा, व्रत)

  • 04 अक्टूबर (शनिवार) – शनि प्रदोष व्रत

  • 06 अक्टूबर (सोमवार) – कोजागरी व्रत एवं शरद पूर्णिमा (लक्ष्मी-नारायण पूजा)

  • 07 अक्टूबर (मंगलवार) – वाल्मीकि जयंती, मीराबाई जयंती

  • 08 अक्टूबर (बुधवार) – आश्विन पूर्णिमा

  • 10 अक्टूबर (शुक्रवार) – करवा चौथ एवं वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी

  • 11 अक्टूबर (शनिवार) – रोहिणी व्रत

  • 13 अक्टूबर (सोमवार) – अहोई अष्टमी, मासिक कालाष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी, राधा कुंड स्नान

  • 17 अक्टूबर (शुक्रवार) – तुला संक्रांति (सूर्य का तुला में प्रवेश), रमा एकादशी

  • 18 अक्टूबर (शनिवार) – धनतेरस, यम दीपक, शनि प्रदोष व्रत

  • 19 अक्टूबर (रविवार) – काली चौदस, हनुमान पूजा

  • 20 अक्टूबर (सोमवार) – दीपावली एवं काली पूजा

  • 22 अक्टूबर (बुधवार) – गोवर्धन पूजा, गुजराती नया साल

  • 23 अक्टूबर (गुरुवार) – भैया दूज एवं चित्रगुप्त पूजा

  • 25 अक्टूबर (शनिवार) – विनायक चतुर्थी, छठ पर्व की शुरुआत

  • 26 अक्टूबर (रविवार) – लाभ पंचमी, खरना (माँ लक्ष्मी पूजा)

  • 27 अक्टूबर (सोमवार) – छठ पूजा (संध्या अर्घ्य)

  • 28 अक्टूबर (मंगलवार) – छठ पूजा (प्रातः अर्घ्य, समापन)

  • 30 अक्टूबर (गुरुवार) – गोपाष्टमी

  • 31 अक्टूबर (शुक्रवार) – अक्षय नवमी

🌞 अक्टूबर 2025 में ग्रहों के राशि गोचर

  • 03 अक्टूबर (शुक्रवार) सुबह 03:47 – बुध का तुला राशि में प्रवेश

  • 09 अक्टूबर (गुरुवार) सुबह 10:55 – शुक्र का कन्या राशि में प्रवेश

  • 17 अक्टूबर (शुक्रवार) दोपहर 01:53 – सूर्य का तुला राशि में प्रवेश

  • 18 अक्टूबर (शनिवार) रात 09:39 – गुरु का कर्क राशि में प्रवेश

  • 24 अक्टूबर (शुक्रवार) दोपहर 12:39 – बुध का वृश्चिक राशि में प्रवेश

  • 27 अक्टूबर (सोमवार) दोपहर 03:53 – मंगल का वृश्चिक राशि में प्रवेश

✨ इस प्रकार अक्टूबर 2025 का महीना त्योहारों और ग्रह-गोचर दोनों दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा।

30 September 2025

क्या भगवान हमारे द्वारा चढ़ाया गया भोग खाते हैं?

 


एक दिन पाठ के बीच में एक शिष्य ने अपने गुरु से प्रश्न किया –

👉 “यदि भगवान भोग खाते हैं, तो वह वस्तु समाप्त क्यों नहीं हो जाती?
और यदि नहीं खाते, तो फिर भोग लगाने का क्या लाभ?”

गुरु ने तत्काल कोई उत्तर नहीं दिया और पहले की तरह पाठ पढ़ाते रहे।

उस दिन पाठ के अंत में उन्होंने यह श्लोक पढ़ाया –

पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

📖 फिर गुरु ने सभी शिष्यों से कहा कि इसे याद कर लो।
एक घंटे बाद उन्होंने उसी शिष्य से पूछा – “क्या श्लोक याद हुआ?”

शिष्य ने पूरा श्लोक सुना दिया।
फिर भी गुरु ने सिर हिलाकर कहा – “नहीं।”

शिष्य ने कहा – “गुरुजी, आप चाहें तो पुस्तक देख लें, मैंने बिल्कुल सही सुनाया है।”

गुरु मुस्कुराए और बोले –
“यह श्लोक तो पुस्तक में ही लिखा है, तो फिर तुम्हारे दिमाग में कैसे चला गया?

➡️ पुस्तक में जो श्लोक है, वह स्थूल रूप में है।
➡️ जब तुमने उसे पढ़ा, तो वह सूक्ष्म रूप में तुम्हारे मन और मस्तिष्क में प्रवेश कर गया।
➡️ अब वह तुम्हारे भीतर भी है, और पुस्तक में भी वैसा ही है।

ठीक उसी प्रकार –
भगवान भी भोग को सूक्ष्म रूप में ग्रहण करते हैं।
भोग का स्थूल रूप जस का तस रहता है, जिसे हम बाद में प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

यही कारण है कि प्रसाद को दिव्य और पवित्र माना जाता है।

🙏 जय श्रीराम 🙏

29 September 2025

🌺 दुर्गा अष्टमी का महत्व 🌺

 


नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी कहते हैं। यह दिन माँ दुर्गा की आराधना का अत्यंत पवित्र और शक्तिप्रद दिन है। इस दिन की पूजा और व्रत से साधक को आध्यात्मिक बल, सुख-समृद्धि और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।


1. माँ महागौरी की पूजा

इस दिन माँ दुर्गा के अष्टम स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है।

  • वे शांति, करुणा और सौम्यता की देवी हैं।

  • पूजा से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं, पाप नष्ट होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।


2. शक्ति साधना का चरम दिन

नवरात्रि के आठवें दिन साधक का मन पूरी तरह माँ की भक्ति और साधना में तल्लीन हो जाता है।

  • यह दिन साधना, भक्ति और शक्ति की प्राप्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।


3. कन्या पूजन का विशेष महत्व

अष्टमी के दिन कन्या पूजन (कुमारी पूजन) का विशेष स्थान है।

  • नौ कन्याओं को नौ रूपों की शक्ति मानकर पूजा जाता है।

  • मान्यता है कि कन्या पूजन करने से भक्त को नौ देवियों का आशीर्वाद मिलता है।


4. असुरों पर विजय का प्रतीक

पौराणिक मान्यता के अनुसार, अष्टमी के दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी।

  • यह दिन सत्य की असत्य पर, और धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है।


5. पुण्य फल की प्राप्ति

इस दिन व्रत, पूजा, हवन और दान करने से अनेक गुना पुण्य मिलता है।

  • यह पुण्य जीवन में शांति, समृद्धि और उन्नति लाता है।


6. नकारात्मक ऊर्जा का नाश

दुर्गा अष्टमी का दिन घर और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने का श्रेष्ठ समय है।

  • साधना और पूजा से मन में नई सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास जागृत होता है।


✨ इस प्रकार, दुर्गा अष्टमी केवल पूजा का दिन ही नहीं, बल्कि जीवन में शक्ति, शांति और समृद्धि लाने का पर्व है।

🌺 देवी माँ के 9 वाहनों का आध्यात्मिक अर्थ 🌺

 


1️⃣ सिंह – शक्ति और साहस का प्रतीक।
माँ दुर्गा का वाहन सिंह है। यह बल, निडरता और शत्रुओं पर विजय का प्रतीक है। दुर्गा के उपासक दृढ़ और अडिग रहते हैं।

2️⃣ हंस – ज्ञान और विवेक का प्रतीक।
माँ सरस्वती का वाहन हंस है। यह मोती चुनने जैसी क्षमता यानी सार और असार को अलग करने की बुद्धि प्रदान करता है। इस गुण को अपनाकर आत्मज्ञान प्राप्त होता है।

3️⃣ व्याघ्र (बाघ) – स्फूर्ति और निरंतर कर्म का प्रतीक।
देवी अपने कुछ रूपों में बाघ की सवारी करती हैं। यह अनवरत कर्मशीलता और ऊर्जा का द्योतक है।

4️⃣ वृषभ (बैल) – संयम और ब्रह्मचर्य का प्रतीक।
यह बल और सकारात्मक ऊर्जा देता है। माँ शैलपुत्री का वाहन भी वृषभ है, और भगवान शिव नंदी (बैल) पर ही विराजमान होते हैं।

5️⃣ गरुड़ – त्याग और वैराग्य का प्रतीक।
जब माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ विचरण करती हैं, तो गरुड़ पर विराजमान होती हैं। गरुड़ पक्षियों के राजा और अध्यात्मिक ऊँचाई के प्रतीक हैं।

6️⃣ मयूर (मोर) – सौंदर्य और योगशक्ति का प्रतीक।
भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर है। यह लावण्य, स्नेह, और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। देवी के कुछ रूप भी मयूर पर आरूढ़ होते हैं।

7️⃣ उल्लू – अंधता और लोभ का प्रतीक।
माँ लक्ष्मी का वाहन उल्लू है। यह संकेत करता है कि जो केवल धन के पीछे भागता है, वह आत्मज्ञान रूपी सूर्य को नहीं देख पाता। यह हमें सावधान करता है कि लक्ष्मी का सही उपयोग विवेक से ही करना चाहिए।

8️⃣ गर्दभ (गधा) – तमोगुण का प्रतीक।
माँ कालरात्रि का वाहन गधा है। यह विनाशकारी शक्तियों और तमोगुण को नियंत्रित करने का द्योतक है। माँ शीतला का वाहन भी गधा है।

9️⃣ हाथी – समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक।
देवी के अनेक रूप हाथी पर विराजमान होते हैं। तंत्रशास्त्र में देवी का एक नाम गजलक्ष्मी भी है। यह ऐश्वर्य, शक्ति और वैभव का प्रतीक है।


🕉️🙏🚩
इन वाहनों के प्रतीकात्मक अर्थ हमें बताते हैं कि जीवन में साहस, ज्ञान, संयम, त्याग, सौंदर्य, विवेक और समृद्धि—सभी गुण संतुलित रूप से आवश्यक हैं।

🕉️ निरृति मंत्र एवं साधना

 

निरृति देवी

हिंदू परंपरा में निरृति मृत्यु, विपत्ति और विनाश की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं। वे दक्षिण-पश्चिम दिशा की दिक्पाल भी मानी जाती हैं।
हालाँकि उनका स्वरूप भयावह माना गया है, लेकिन वे केवल विनाश की नहीं बल्कि नकारात्मक शक्तियों के नियंत्रण और आध्यात्मिक शुद्धि की देवी भी हैं।
उनकी उपासना से जीवन में आने वाली अनिष्ट घटनाएँ टलती हैं और साधक में आंतरिक शक्ति, स्थिरता और शांति आती है।

मुख्य मंत्र

ॐ निरिति-ये नमः

संक्षिप्त अर्थ

  • – सृष्टि का आदिम बीज, ब्रह्म का प्रतीक।

  • निरिति-ये – निरृति देवी को समर्पण, जो मृत्यु, विपत्ति और विनाशकारी शक्तियों पर नियंत्रण रखती हैं।

  • नमः – नमन, समर्पण और श्रद्धा।


आध्यात्मिक फल

इस मंत्र के जप से:

  • अप्रत्याशित हानि, रोग, दुर्घटना और शत्रु बाधाएँ कम होती हैं।

  • व्यक्ति को भय और असुरक्षा से रक्षा मिलती है।

  • पुराने या नकारात्मक चक्रों को छोड़कर नए मार्ग पर आगे बढ़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

  • इच्छाओं की पूर्ति, शांति और ध्यान में स्थिरता मिलती है।


साधना-विधि

  1. स्थान चयन – शांत और पवित्र स्थान चुनें। ध्यान कक्ष या घर का दक्षिण-पश्चिम कोना श्रेष्ठ रहेगा।

  2. आसन – सुखासन या पद्मासन में बैठें। रीढ़ सीधी रखें।

  3. एकाग्रता – नेत्र बंद कर ॐ की आकृति का ध्यान करें।

  4. मंत्र जप

    • “ॐ निरिति-ये नमः” का 108 बार जप करें।

    • रुद्राक्ष या चंद्रमणी माला का उपयोग कर सकते हैं।

  5. समय – सूर्योदय और सूर्यास्त का समय विशेष शुभ है।

  6. आसन एवं दीपक – पीले या लाल आसन पर बैठें और सामने दीपक जलाएँ।

  7. भावना – पूर्ण श्रद्धा और नमन के साथ जप करें।

  8. समापन – अंत में देवी निरृति को प्रणाम कर कृतज्ञता व्यक्त करें।


निरृति गायत्री मंत्र

ॐ निरृत्यै च विद्महे
मृत्युरूपिण्यै धीमहि
तन्नो निरृति प्रचोदयात्॥

अर्थ

  • हम निरृति देवी का ध्यान करें, जो मृत्यु और विपत्ति का स्वरूप हैं।

  • वे हमें सत्कर्म और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित करें।

👉 यह गायत्री मंत्र विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति, शांति और इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रभावी माना गया है।

✨ इस प्रकार “ॐ निरिति-ये नमः” मंत्र और निरृति गायत्री मंत्र दोनों का जप साधक के जीवन से भय, बाधाएँ और नकारात्मक शक्तियाँ हटाकर उसे आंतरिक स्थिरता, शक्ति और शांति प्रदान करते हैं।

- 🌟🙏🏻 अनक्सत्व अकादमी 🙏🏻🌟

टैरो एंजल किम और न्यूमेरो मास्टर ललित शर्मा

नवरात्रि का वास्तविक महत्व

 

नवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है।
यह घर या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और समृद्धि लाने का अवसर है, जिससे जीवन में संतुलन और सफलता आती है।
इस पावन समय में देवी शक्ति की सक्रियता बढ़ जाती है, और सात्विक साधना, मंत्र-जाप तथा घर की शुद्धता से धन, करियर और जीवन में उन्नति प्राप्त की जा सकती है।






✨ सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और समृद्धि स्थापित करने के उपाय:

🔹 साफ-सफाई और सजावट
घर के मंदिर को स्वच्छ करें और ताज़े फूल, दीपक व धूप से सजाएँ।
मुख्य द्वार पर स्वास्तिक, ऊँ और शुभ-लाभ के चिह्न बनाएँ।
आम के पत्तों की तोरण लगाना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

🔹 नकारात्मक ऊर्जा दूर करना
मुख्य द्वार पर हल्दी या केसर का टीका लगाएँ।
अखंड दीपक जलाएँ और शंख बजाएँ, इससे वातावरण शुद्ध होता है और ऊर्जा प्रवाह बढ़ता है।

🔹 वास्तु का पालन
देवी की चौकी उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करें।
यह मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ है।

🔹 आध्यात्मिक साधना
नवरात्रि में उपवास, मंत्र-जाप और देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करने से शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है।

🔹 सद्भाव और शुद्धता
घर में तुलसी का पौधा लाएँ।
यह शुद्धता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

🌸 संक्षेप में:
नवरात्रि, पूजा और देवी आराधना के साथ-साथ घर और वातावरण को शुद्ध व सकारात्मक बनाने का भी पर्व है।
यह हमें शक्ति, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

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