Pages

25 September 2022

तृतीय भाव का महत्व - Astrology

 तृतीय भाव का महत्व
➖➖➖➖➖➖➖➖
तृतीय भाव हमारे पराक्रम,छोटे भाई बहन, छोटी यात्रा,स्थान परिवर्तन, अपने अधीनस्थ कर्मचारी,नौकर चाकर, पड़ोस, कंधा और बाहु आदि का भाव होता है और सबसे महत्वपूर्ण हमारे अवचेतन मन का भी भाव होता है। हमारे मन में क्या चल रहा और हम पूरे दिन क्या सोचते है यह तीसरा भाव ही बतलाता है। कालपुरुष कुंडली में तीसरे भाव के स्वामी बुध है जोकि कम्युनिकेशन के कारक भी है। यदि यह भाव पीड़ित है तो इन सब बतलाई गई चीज़ों में कुछ समस्या रहेगी। वैसे इन भावो में पापग्रहो को अच्छा और सौम्य ग्रहों को अच्छा नही मानते क्युकी पराक्रम के लिए मंगल,सूर्य,राहु और शनि जैसे ग्रहों की जरूरत होती है न की गुरु और शुक्र जैसे ग्रहों की तभी गुरु और शुक्र जैसे ग्रह इन भावो में कमजोर हो जाते है।
आपका अवचेतन मन भी प्रभावित होता है। अब इसके लिए सबसे अच्छा उपाय यह है की आप अपने अवचेतन में उन घटनाओं को बिल्कुल बाहर कर दे जिसका रिजल्ट जीरो है। उन घटनाओं पर बहस करना बंद कर दे ,अच्छे विचारों के लिए अच्छी किताबो को पढ़ना शुरू करे और तीसरे भाव का सप्तम अर्थात सप्तम का भोग नवम भाव होता है तो धार्मिक क्रियाओं, धार्मिक पुस्तकों में मन लगाए और नए अच्छे विचारों को अपने अवचेतन मन में आने दे। इससे तीसरे भाव के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।

No comments: